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ਚਮਕਦੇ ਸਿਤਾਰੇ

संबंधों में खटास के बावजूद कम नहीं हुआ भारत व कनाडा का कारोबार

Updated on Tuesday, April 16, 2024 13:13 PM IST

 

पिछले कुछ समय से भारत व कनाडा के संबंधों में कुछ गतिरोध चल रहा है। इसके बावजूद आपको यह जानकारी हैरानी होगी कि दोनों देशों के बीच होने वाली द्विपक्षीय कारोबार में किसी तरह की कमी नहीं आई है। कनाडा में भारतीय मूल के लोगों को जब-जब कोई दिक्कत आती है तो भारत के उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा उनके लिए एक संरक्षक के रूप में हमेशा उपलब्ध रहते हैं।

भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा ने बेबाकी से रखी अपनी राय
कनाडा में इस्तेमाल होते हैं भारत के फार्मास्यूटिकल प्रोडक्ट तो भारत में कनेडियन फोन की है डिमांड
भारतीय विद्यार्थी हर साल कनाडा को देते हैं 17 बीलियन डॉलर
2030 तक भारत व कनाडा में 30 बीलियन डॉलर कारोबार का लक्ष्य


संजय कुमार वर्मा तथा उनकी पूरी टीम का हमेशा यह प्रयास रहता है कि भारतीयों को कनाडा की धरती पर किसी को किसी प्रकार की दिक्कत न आए और भारत के साथ संबंध हमेशा मजबूत हों। इसी उद्देश्य के साथ उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा ने कनाडा के कई राज्यों का दौरा करके भारतीयों के साथ मुलाकात की और उन्हें अपने देश के लिए कुछ न कुछ नया करने के लिए उत्साहित करते रहते हैं। अलबर्टा दौरे पर आए संजय वर्मा के साथ नेशनल टाइम्स के चीफ एडिटर राजीव शर्मा ने विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से बात की।

इस दौरे का मुख्य उद्देश्य क्या है।
कैलगरी, बीसी तथा अलबर्टा समेत कई राज्यों का दौरा करके यह प्रयास किया जा रहा है कि कनाडा सरकार के साथ-साथ इन राज्यों की सरकार का भी भारत के साथ सीधा व बेहतर संबंध स्थापित हो। जिन राज्यों में भारतीयों की संख्या अधिक है वहां की सरकार के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात की जा रही है। वहां रहने वाले भारतीयों से उनकी समस्या पूछी जा रही है। इन सब विषयों को लेकर ही राज्य के दौरे प्लान किए गए हैं।

पिछले साल सरकार ने अचानक से वीजा बंद कर दिए तो यहां रहने वाले भारतीयों हड़कंप मच गया। सभी लोग ओसीआई की तरफ भागे। हर जगह लंबी-लंबी कतारें देखने को मिली। अगर किसी भारतीय का पासपोर्ट गुम हो चुका है वह कनेडियन नागरिक बन चुका है तो वह भारत कैसे जा सकता है।

जी हां, इसमें किसी को घबराने की जरूरत नहीं है। यह समझने की जरूरत है कि मुख्यत ओसीआई में होता क्या है। संबंधित व्यक्ति को यह सिद्ध करतना होता है कि यहां से पहले वह भारत के नागरिक थे। यह साबित करने के लिए कई तरह के दस्तावेजों का इस्तेमाल किया जा सकता है। आपको अगर पुराना पता याद है तो वह आप लिखवा सकते हैं। उस पते के आधार पर आसपास के लोग वैरीफाई करते हैं कि यह यहां के ही रहने वाले हैं। इसका केवल एक ही उद्देश्य है कि आपको किसी भी माध्यम से भारत के साथ पुराना नाता अथवा नागरिकता को सिद्ध करना है।


कईयों के पास वोटर कार्ड, दसवीं, 12वीं तथा ग्रेजुएशन के सर्टीफिकेट हैं। उसमें जन्म तारीख भी होती है। वह मान्य हैं या नहीं।

यह दो तरह की बातें हैं। अगर पुराना वोटरकार्ड है तो कोई दिक्कत नहीं। क्योंकि भारत के नागरिक को ही वोटर कार्ड मिलता है। जिससे यह साबित होता है कि वह भारत के नागरिक रह चुके हैं। उसके आधार पर ओसीआई प्रक्रिया शुरू की जाती है। जिनके पास केवल हाईस्कूल का सर्टीफिकेट है उसमें कुछ दिक्कतें आ सकती हैं। हाईस्कूल में पढ़ने वाला भारतीय भी हो सकता है और गैर भारतीय भी हो सकता है। यह अनिवार्य है कि आपको यह सिद्ध करना होगा कि आप भारतीय नागरिक रह चुके हो।

भारत व कनाडा के बीच व्यापारिक संबंधों की बात की जाए तो आगामी पांच से दस वर्ष के बीच की क्या योजनाएं हैं।

इसके लिए सरकारों की तरफ से कई तरह की पहल की है। इसमें कई तरह की रूकावटें भी आई। इसको दो भागों में बांट सकते हैं। एक है द्विपक्षीय व्यापार तो दूसरा है पूंजी निवेश। अगर हम ट्रेड की बात करें तो पिछले साल तक की गति काफी अच्छी रही है। 40 प्रतिशत से अधिक ग्रोथ किया था। उससे पहले कोविड था। आज दोनों देशों के बीच करीब 12 बीलियन डॉलर का द्विपक्षीय कारोबार है। यह केवल गुड्स में हैं। अगर सर्विसिज अथवा सेवाओं की बात की जाए तो वह भी 12 बीलियन डॉलर है। गुड्स व सर्विसिज का भारत व कनाडा के बीच करीब 24 बीलियन डॉलर का कारोबार है। जो यहां पर खरीदी जाती है उनमें दालें सबसे प्रमुख हैं।
इसके अलावा कनाडा से पोटाश जाता है, जिससे रासायनिक खाद बनते हैं। स्टील उद्योग में इस्तेमाल होने वाले उत्पाद कनाडा से भारत जाते हैं। भारत से जो कनाडा भेजा जाता है उसमें सबसे अहम भूमिका है फार्मास्यूटिकल प्रोडक्ट की है। इसमें दवाईयां भी शामिल हैं। दूसरी सबसे बड़ी चीज स्मार्ट फोन, आटोमोबाइल उत्पाद आदि शामिल हैं। पिछले साल द्विपक्षीय संबंधों में थोड़ा गतिरोध देखने को मिला था इसके बावजूद द्विपक्षीय कारोबार में केवल 0.4 प्रतिशत की कमी आई। यह बेहद सामान्य है।
कारोबार पर कोई असर नहीं पड़ा। सामान्य तरीके से अगर व्यापार चले तो दोनों देशों में एक-दूसरे के लिए अपार संभावनाएं हैं। कनाडा के जितने संसाधन हैं और भारत की जितनी उत्पादन क्षमता है अगर उसको मिला लिया जाए तो कारोबार का यह आंकड़ा 50 बीलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। इसके अलावा भारतीय विद्यार्थी जो यहां पर आ रहे हैं। उनके द्वरारा फीस के रूप में भी हर साल 16 से 17 बीलियन डॉलर कनाडा को दिया जाता है।
दोनों देशों के बीच पूंजी निवेश की क्या स्थिति है।
निवेश के मामले में सीधा पूंजी निवेश कम है। इसे आसानी से बढ़ाया जा सकता है। दूसरा पोर्ट फोलियो निवेश होता है। जिसमें अहम हैं पेंशन फंडस। वह भारत में निवेश कर रहे हैं। इसका भारत में 73 बीलियन डॉलर का निवेश है। इसके अलावा आठ से नौ बीलियन डॉलर सीधा पूंजी निवेश है। यह केवल बेहतर संबंधों के कारण ही संभव है। पोर्ट फोलियो निवेश में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। कनेडियन द्वारा भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर, इनोवेशन,हेल्थ केयर में निवेश कर रहे हैं। हमारा प्रयास है कि 2030 तक भारत व कनाडा के बीच सौ बीलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हो। इसके अलावा कुल निवेश बढ़ाकर 130 बीलियन डॉलर तक पहुंचाया जाए।

आज बहुत से भारतीय कनाडा की धरती पर आकर सैट हो गए हैं। कारोबार बढ़ गया है लेकिन जब उनके साथ भारत में निवेश की बात की जाए तो वह इससे घबराते हैं। भारतीय सिस्टम से डरते हैं।

80 बीलियन डॉलर से अधिक का निवेश भारत गया है। भारत की ग्रोथ स्टोरी है,उन्हें इसका लाभ उठाना चाहिए। भारतीय उच्चायोग द्वारा वैंकुवर, टोरंटो तथा ओटवा में कांउसलेट ऑफिस खोले गए हैं। यहां तैनात अधिकारी द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती के लिए काम का रहे हैं। अगर कनाडा में रहने वाला कोई भी भारतवंशी निवेश करना चाहता है तो उसके लिए हमारे कांउसलेट उपलब्ध हैं। वह भारत में उनकी सीधी एंट्री करवाएंगे। इनवेस्ट इंडिया में उनका प्रवेश करवाएंगे। राज्यों में इसकी यूनिट है। कोई भी भारतीसय कनेडियन निवेश को लेकर सीधे कांउसलेट कार्यालय में बात कर सकता है।

भारतीय उत्पादों की अगर बात की जाए तो कश्मीर का केसर हो या फिर बासमती चावल हों। इन्हें यहां लेकर आने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस मामले में कई बड़े प्लेयर कूद जाते हैं। इससे कई छोटे-छोटे कारोबारयों को दिक्कत आती हैं।

इस संबंध में कोई भी व्यक्ति हमें अपना प्रपोजल ई-मेल कर सकता है। उसके माध्यम से हमें संपर्क कर सकता है। भारतीय उच्चायुक्त कार्यालय द्वारा इस बारे में हर संभव मदद की जाएगी। प्रस्ताव पर विचार-विमर्श के बाद सुविधा मुहैया करवाई जाएगी। जिससे भारत से यहां पर सामान लेकर आने में कोई दिक्कत नहीं होगी।


आजकल कनाडा में न्यू इंडिया अथवा नए भारत की बात चल रही है। यह क्या है,बताएंगे।
एक बात समझनी होगी कि नया भारत पुराने भारत की ही निरंतरता है। 1947 में जो भारत हमें मिला, उसी को लेकर आगे बढ़ा जा रहा है। पिछले दस वर्षों में पुराना भारत इतनी तरक्की कर गया है कि उसे नया भारत कहना पड़ रहा है। नए भारत में इच्छा शक्ति है और उसे पूरा करने की क्षमता है। जब हम इन दोनों को मिला लेते हैं तो एक नए भारत की परिकल्पना की बात शुरू होती है।
आज भारत इनोवेशन तथा आई.पी.आर के मामले में विश्व में चौथे स्थान पर है। भारत में वर्ष 2022 तक एक लाख 22 हजार स्टार्टप रजिस्ट्रर्ड हुए हैं। भारत में 1100 से अधिक यूनिवर्सिटी हैं और हर साल 15 लाख से अधिक वाकेशनल ग्रेजुएट निकल रहे हैं। भारत में आज आगे बढ़ने का जोश और जजबा है तो भारत सरकार इस जज्बे को पूरा करने के लिए संसाधन मुहैया करवा रही है। भारत में आने वाले कल के लिए नई शोध करने की इच्छा है।
आज भारत विश्व की पांचवी आर्थिक शक्ति के रूप में उभरा है।
2026 में भारत चौथे स्थान पर आ जाएगा। यह पूरी तरह से संभव है। 2029 से 2030 के बीच में तीसरे स्थान पर आने का लक्ष्य रखा गया है। 2030 में 4.2 ट्रीलियन की इकॉनमी 10 ट्रीलियन डॉलर की इकॉनमी बन जाएगी। जब यह दुगना से अधिक बढ़ेगी तो वह नए अवसरों तथा संभावनाओं को जन्म देगी। ऐसे में विदेशों में बैठे भारतीयों को चाहिए कि वह इस अवसर का लाभ उठाएं। इस अवसर को बर्बाद करने की बजाए इसका लाभ उठाएं। वर्ष 2047 अमृतकाल का अंत होगा। उस समय को लेकर जो अर्थशास्त्रियों की भविष्यवाणी है उसके अनुसार भारत 30 ट्रीलियल डॉलर की इकॉनमी हो जाएगी। हम नंबर दो पर होंगे। नंबर वन आस्ट्रेलियन रहेंगे। भारत का भविष्य उज्जवल है और हम एक स्वर्णिम काल की तरफ बढ़ रहे हैं।

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